गोरखपुर में जन्मे रघुपति सहाय या कहे ‘फ़िराक़ गोरखपुरी’ उर्दू के जानेमाने शायर, लेखक और आलोचक थे। अपनी रचनाओं की ही तरह उन्होंने कही रूपों में अपना जीवन बसर किया, अब चाहे वो सरकारी अवसर हो या इलाहबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के प्रोफेसर या फिर गाँधी जी के साथ आज़ादी के लड़ाई में जुटे स्वतंत्रता सेनानी। अल्लामा इक़बाल, फैज़ अहमद फैज़, कैफ़ी आज़मी और साहिर लुधयानवी जैसे जिग्गज उर्दू कवियों और शायरों के बीच भी फ़िराक़ की शख्सियत और रचनाओं की एक अलग ही चमक थी। आईये उन्हें याद करते हुए उनकी कुछ बेहतरीन नज़्में को एक बार दुबारा सुने!
1. फ़िराक़ की नज़्मे उन्हीं की ज़ुबानी
2. फ़िराक़ गोरखपूरी का भाषण – ‘सुबह ए बनारस’
३. एक असाधारण वीडियो एक असाधारण कविता को सुनाते हुए
4. फ़िराक़ गोरखपुरी की रचि 7 कविताएँ
5. फ़िराक़ गोरखपुरी को याद कर रहे हैं ‘ड वायर’ के वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश जी
उनकी इन अदभुद रचनाओं को खुद भी सुने और सभी के साथ शेयर भी करे।